Friday, February 12, 2010

दो अहम सवालः अमर सिंह ने ऐसा क्यों कहां, क्या राज बब्बर यूपी कांग्रेस अध्यक्ष होंगे!!




राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि अमर सिंह ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को ऐसा क्यों कहा? अभी और क्या-क्या कह सकते हैं?? चर्चा ये भी है कि उत्तर प्रदेश की फीरोजाबाद सीट से सांसद और अभिनेता राज बब्बर यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष हो सकते हैं तो इस शोशे में कितना दम है? यह चर्चा सिर्फ रस्सी के सांप जैसी है या इसमें कोई दम है। आइए, इन दोनों बातों की तह तक जाने की कोशिश इस चर्चा के साथ करें कि ताजा सुर्खियां क्या रही हैं?
समाजवार्दी पार्टी से निष्कासित किये जाने के बाद दिल्ली में पहली बार अमर सिंह ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह पर निशाना साधा और मुस्लिमों के मामले में उनकी तुलना घास में छिपे हुए हरे सांप से कर डाली। अमरसिंह ने एक समारोह में कहा कि वह कल्याण सिंह की विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं लेकिन वह व्यक्तिगत रूप से उनकों मुलायम सिंह से बेहतर मानते हैं। कल्याण सिंह और बाल ठाकरे जैसे लोग कम से कम मुस्लिमों पर खुलकर हमला करते हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग उन धर्मनिरपेक्ष नेताओं से कम घातक हैं, जो हमेशा कहते हैं कि वह मुस्लिमों के साथ हैं लेकिन उनकी ही पीठ में छुरा भोकते हैं। आखिर कौन अधिक घातक है, दुश्मन जो सामने दिखाई पडता है कि वह जो घास में छुपे हुए हरे सांप की तरह दिखायी ही नही पडता। मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह पिछड़े तथा यादव मतों को एकजुट करने के इरादे से साथ आये थे। उन्होने सोचा था कि यदि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सपा को अपना मत नहीं भी दिया तो भी यादव और पिछडे वर्ग के लोगों के मतो से उनका काम बन जायेगा, लेकिन उनकी योजना असफल रही। मुस्लिम उनको छोडकर चले गए और पिछडे वर्गो के मत भी उनकों नहीं मिले। दिन में मुलायम सिंह यादव पर हमला करने के चंद घंटे बाद रात में अमर सिंह ने कहा कि उनकी टिप्पणी- ग्रीन स्नेक इन ग्रास’ (घास में हरा सांप) सपा प्रमुख मुलायम सिंह के लए नहीं थी, बल्कि यह उन लोगों के लिए आम टिप्पणी थी, जो धर्मनिरपेक्ष होने का नाटक करते हैं। मैंने मुलायम सिंह यादव को कभी सांप नहीं कहा। मैंनेघास में हरा सांपकी टिप्पणी आम आधार पर की थी। यह हवाला उस किसी भी व्यक्ति के लिए है जो धर्मनिरपेक्ष होने का बहाना करता है और धर्मनिरपेक्ष सोच के आधार पर गठबंधन करता है। यह मुलायम सिंह यादव के संदर्भ में नहीं था। जहां तक अमर सिंह के किसी अन्य पार्टी में जाने का सवाल है, उसे बेमतलब का मुद्दा बनाया जा रहा है। अमर सिंह उद्यमी और राजनेता दोनों हैं। स्वाभाविक ही होगा कि वह या तो खुद अपनी पार्टी बनाएंगे अथवा किसी पार्टी का पदभार संभालेंगे। इसमें हर्ज क्या है? ज्यादा उम्मीद इस बात की है कि वह स्वयं की पार्टी खड़ी कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट से सांसद राज बब्बर का नाम उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे माना जा रहा है। हालांकि समाजवादी पार्टी के गढ़ से साइकिल के सफाये के लिए उन्हें कैबिनेट में जगह देने की चर्चा भी थी। लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हाई कमान 2012 में यूपी असेंबली चुनावों को देखते हुए संगठन की मजबूती को प्राथमिकता दे रहा है और इसी वजह से राज बब्बर के कर्मठ व्यक्तित्व और उनके ग्लैमर का उपयोग संगठन के लिए करना चाहता है। कांग्रेस में संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का ऐसा विकल्प ढूंढा जा रहा है, जो पार्टी के लिए संजीवनी बूटी का काम कर सके। फिरोजाबाद चुनाव में एसपी को मजा चखाने वाले राज बब्बर का नाम इस रेस में सबसे आगे है। पार्टी कमान उनके ग्लैमर का लाभ उठाना चाहता है। एक तो वह एसपी प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव को कड़ी चुनौती दे सकते हैं,, दूसरे राहुल के मिशन 2012 के लिए युवाओं को जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यद्यपि यह पूरी सूचना दिल्ली के एक अखबार की प्रसारित की हुई है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस अध्यक्ष पद की ताजपोशी पार्टी के लिए कोई आसान काम नहीं। ताजपोशी के लिए पहली रजामंदी चाहिए राहुल गांधी की, दूसरी प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह की। इससे पहले कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी की। इससे आगे सोचें तो ताजपोशी की राह में अड़ंगा बनने वालों की कतार भी छोटी नहीं। सूत्रों की मानें तो पार्टी के ताकतवर केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सलमान खुर्शीद कभी नहीं चाहेंगे कि बब्बर यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष बनें। यदि राज बब्बर अध्यक्ष बनते हैं तो निश्चित ही यूपी में पार्टी की ताकत और मजबूत होने से इनकार नहीं किया जा सकता क्यों कि वह बसपा और सुप्रीमो के मुखर राजनीतिक विरोधी तो रहे ही हैं, समाजवादी विचारों के नाते वह भाजपा की आंखों की भी किरकिरी रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के अंदरूनी व्यक्तिगत विरोध के सिवाय उनकी राह में कोई और राजनीतिक रोड़ा नहीं। जहां तक उनकी छवि का सवाल है, वह बेदाग हैं और जुझारू व्यक्तित्व के धनी भी। इस बात से भी उनके यूपी अध्यक्ष बनने की अटकलें तेज हैं कि अमर सिंह के कांग्रेस ज्वाइन करने के मामले में पार्टी नेता चुप्पी साधे हुए हैं। इसी चुप्पी के रहस्य में छिपी है कि राज बब्बर की ताजपोशी की संभावना!



1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

सही लिखा....अच्छी पोस्ट।