Friday, April 2, 2010

सांसद अमर सिंह की सुनवाई अब 10 मई को


(sansadji.com)

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय जरूरत पड़ने पर समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव अमर सिंह के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले की जांच कर सकता है। न्यायमूर्ति विनोद प्रसाद और न्यायमूर्ति राजेश चंद्र की खंडपीठ ने कानपुर के निवासी शिवकांत त्रिपाठी की रिट याचिका पर यह व्यवस्था दी। त्रिपाठी ने पिछले साल 15 अक्टूबर को अपने शहर के बाबूपुरवा थाने में सपा के पूर्व नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में सिंह पर उत्तर प्रदेश विकास परिषद के चेयरमैन के पद पर रहते हुए वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया। उस समय अभिनेता अमिताभ बच्चन पर भी अमर सिंह का साथ देने के आरोप लगे थे, लेकिन अमिताभ ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था। अमिताभ का कहना था कि अमर सिंह के साथ उनके रिश्तों की वजह से उन पर निशाना साधा जा रहा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि अमर सिंह से दोस्ती पर उन्हें कोई शर्म नहीं है। अमर सिंह से नजदीकी के कारण मुझे राजनीतिक दुश्मनी का शिकार होना पड़ रहा है। उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। अमर सिंह ने आरोपों से इनकार किया। त्रिपाठी इस दलील के साथ अदालत की शरण में गए थे कि प्रवर्तन निदेशालय अमर सिंह के खिलाफ मामले की जांच करे। फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जांच की जा रही है। अदालत ने ऐसा कोई निर्देश देने से इंकार कर दिया हालांकि उसने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को जब भी जरूरत महसूस होगी, वह मामले की जांच कर सकता है। अदालत ने पिछले वर्ष पांच दिसंबर को एफआईआर के सिलसिले में अमर की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए स्पष्ट कर दिया था कि राज्यसभा सदस्य को भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत लगाए गए आरोपों पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता हालांकि राज्य सरकार धनशोधन निरोधक कानून के तहत उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के सिलसिले में केन्द्र सरकार के पास जा सकती है, जो सुनवाई के क्रम में उपयुक्त कार्रवाई कर सकती है। इस बीच अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 10 मई निर्धारित की और राज्य सरकार से एफआईआर की जांच संबंधी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी द्वारा इस संबंध में भेजे गये प्रस्ताव को मानते हुए गृह विभाग ने देर रात सपा सांसद के विरुद्ध उक्त प्राथमिकी की जांच ईओडब्ल्यू से कराये जाने का आदेश जारी किया था। कानपुर पुलिस ने इस प्रकरण की जांच में कई तरह की दिक्कतों का उल्लेख किया था, जिसको संज्ञान में लेते हुए डीजीपी कार्यालय ने शासन से इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंपे जाने का आग्रह किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि चूंकि मामला कई कंपनियों और उनके शेयर धारकों द्वारा करोड़ों रुपये की कथित हेराफेरी का है, इसलिए मामले की जांच ईओडब्ल्यू से अथवा किसी अन्य जांच एंजेसी से कराया जाना उचित होगा। बाद में पूरा विवरण केन्द्रीय प्रवर्तन निदेशालय के मांगने के साथ ही इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच में केन्द्र सरकार भी उसी समय कूद गई थी। इस मामले से जुडे़ दस्तावेजों को केन्द्रीय प्रवर्तन निदेशालय ने मांग लिया था। उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने आवश्यक कागजात तत्काल भेज दिए थे। उस समय राज्य के आला अफसर शशांक शेखर ने बताया था कि अमर सिंह पर अरबो रुपयों के आर्थिक घोटाले के आरोप की सूचना मिलने के बाद भारत सरकार के प्रवर्तन निदेशालय ने आर्थिक अपराध शाखा से अग्रिम कार्रवाई के लिए विस्तृत विवरण मांगा था। रिपोर्ट में अमर सिंह व उनके सहयोगियो द्वारा कूट रचित दस्तावेज तैयार करने लोक सेवक होते हुए गलत ढंग से धन अर्जित करने तथा इन्कम टैक्स की गलत आयकर विवरणी अंकित करने का आरोप है।

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