Monday, April 12, 2010

इधर राहुल रैली को तैयार, उधर गडकरी की ललकार


(sansadji.com)

कांग्रेस अपनी 125वीं वर्षगांठ पर पांच क्षेत्रों में विशेष सम्मेलनों की शुरुआत करने जा रही है। राहुल गांधी इसी क्रम में 14 अप्रैल से यूपी में बिगुल बजाने जा रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी कांग्रेस को महंगाई पर बहस के लिए ललकार रहे हैं। बसपा उत्तर प्रदेश से मोरचा खोलने जा रही है। विपक्षी दिल्ली में कटौती प्रस्ताव पर लामबंद हो रहा है। चुनौतिया साथ-साथ। कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिवों और प्रदेश अध्यक्षों की बैठक में 125वीं वर्षगांठ की योजना को अंतिम रूप दिया गया। बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी कहते हैं कि हमने देश को पांच क्षेत्रों उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर-पूर्व में बांटा है और हम क्षेत्रीय सम्मेलनों का आयोजन करेंगे जिनमें प्रदेश कांग्रेस प्रमुख, कांग्रेस विधायक दल के नेता, सांसद,विधायक और पार्षद शामिल होंगे। सम्मेलन का मुख्य विषय पास्ट फाउंडेशन एण्ड फ्यूचर विजन होगा। प्रत्येक प्रस्तावित सम्मेलन के स्थान के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बाद में फैसला करेंगी। पार्टी ने प्रत्येक क्षेत्र के लिए समन्वय समिति गठित की है जो विस्तृत कार्यक्रम तय करेगी। साल भर चलने वाले समारोह के अंत में दिसंबर 2010 में पार्टी का पूर्ण अधिवेशन आयोजित किया जाएगा। कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी। उधर, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी कहती हैं कि पार्टी की स्थापना के 125 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी 14 अप्रैल को अम्बेडकर नगर जिले से कांग्रेस चेतना यात्रा की शुरूआत करेंगे जो पूरे प्रदेश में जायेगी। समारोह की तैयारियां जोरो पर हैं और राहुल गांधी 14 अप्रैल को चेतना यात्रा में शामिल 10 वाहनों के काफिले को हरी झण्डी दिखाकर रवाना करेंगे और इसी के साथ वह यात्रा प्रदेश में सभी आ॓र रवाना हो जायेगी। चेतना यात्रा का उद्देश्य प्रदेश की जनता को पार्टी की नीतियों कार्यक्रमों और उसके इतिहास के बारे में लोगों को जागरूक करना है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के क्रियान्वयन में बडे पैमाने पर अनियमिताओं का आरोप लगाते हुए केन्द्र सरकार से इसकी विशेष जांच की मांग कर रही हैं। कहती हैं कि राज्य में मनरेगा के क्रियान्वयन के बारे में प्रदेश सरकार भ्रामक और झूठी सूचनाएं दे रही है और इसलिए आवश्यक है कि केन्द्र सरकार इसका विशेष आडिट कराये। प्रदेश कांग्रेस ने हाल ही में राज्य सरकार को सात जिलो के विस्तृत ब्यौरो के साथ मनरेगा में हो रही गडबडियों की जानकारी दी है मगर राज्य सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है।
उधर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का कहना है कि राहुल क्या सोचते हैं, मेरी उसमें कोई रुचि नहीं। मैं तो चाहता हूं कि महंगाई पर प्रधानमंत्री और संप्रग अध्यक्ष से खुली बहस हो जाए। नक्सली मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होगी और उनकी पार्टी नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम और केन्द्र सरकार के कदमों का समर्थन करेगी1 यह एक सामाजिक और सुरक्षा से जुडा मुद्दा है। हम इस मुद्दे पर कोई राजनीति करना नहीं चाहते। इस मुद्दे पर हम केन्द्र सरकार और श्री चिदंबरम का समर्थन करेंगे। गडकरी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव राहुल गांधी के नदियों को जोडने को पर्यावरण की दृष्टि से उचित नहीं मानने के विचार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार करते हुए कहा कि मैं इसमें कोई रूचि नहीं रखता कि राहुल गांधी क्या सोचते है। यदि भाजपा केन्द्र में सत्ता में आई तो हम नदियों के जोडने का काम तुरन्त करेंगे। उन्होंने श्री गांधी के उस विचार पर भी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की कि नदियों को जोडना आर्थिक रूप से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि विकासात्मक परियोजनाओं को लागू करने के लिए दृढ इच्छाशक्ति की जरूरत है। मेरी पार्टी के लिए नदियों को जोडने की परियोजना एक महत्वपूर्ण मिशन है। नितिन गडकरी ने महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को खुली बहस की चुनौती देते हुए कहा कि मैं अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार को चुनौती देता हूं कि वह भाजपा नेतृत्व के साथ एक खुली बहस के लिए सामने आए और जनता को इस बात का निर्णय करने दे कि क्या इस सरकार ने जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें 100 दिनों के भीतर नीचे लाने के अपने चुनावी वादे को वाकई में पूरा किया है या वह खाद्य प्रबंधन में बुरी तरह विफल हुई है। संप्रग सरकार ने शोध, विकास, उत्पादन, खरीदारी, भंडारण, वितरण, खपत, न्यूनतम समर्थन मूल्य और अधिकतम खुदरा मूल्य से संबंधित मेरे 14 प्रश्नों पर मौन रहने का निर्णय लिया है। जब उन्होंने खराब प्रशासन और सरकार की गलत आर्थिक नीतियों पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है, तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने समितियों और उपसमितियों का गठन शुरू कर दिया है। जबकि उनकी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण ही महंगाई, खराब वितरण व्यवस्था, अपर्याप्त भंडारण क्षमता, बफर स्टॉक का कुप्रबंधन और दुरुपयोग की समस्याएं सामने आई हैं।

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