Tuesday, April 20, 2010

लोकसभा में थरूर हुए भावुक


sansadji.com

अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर लोकसभा में बोलते हुए पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर भावुक हो गए। लोकसभा में अपनी बात रखने से पूर्व आज सुबह थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। संसद में उन्होंने कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और मैं अपने ऊपर लगे आरोपों से आहत हूं। उन्होंने संसद में अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच की मांग करते हुए कहा कि मैं अपने ऊपर भ्रष्टाचार के आरोपों को बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं कई साल से काम कर रहा हूं और इस दौरान मेरा करियर बेदाग रहा है। मैं अभी भी देश की बेहतरी के लिए काम करता रहूंगा। मैं केरल की संस्कृति से जुड़ा शख्स हूं। इस मौके पर थरूर ने संस्कृत की एक लकोक्ति भी सुनाई। उन्होंने कहा कि मुझ पर जो आरोप लगे हैं, वह बेबुनियाद हैं। अब मैं चाहता हूं कि इसकी जांच हो जिससे सच सामने आए। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि मैं सरकार को शर्मिंदा नहीं करना चाहता हूं। मैं भारतीय राजनीति को समझता हूं। मैं ईमानदार इंसान हूं और ईमानदारी चाहता हूं। मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। अपनी सफाई में उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के प्रति आभार जताते हुए कहा कि मैं सरकार की शर्मिंदगी नहीं चाहता था इसलिए अपने पद से इस्‍तीफा दिया। उधर, इंडियन प्रीमियर लीग से जुड़े विवादों के बीच बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर और पूर्व अध्यक्ष शरद पवार के बीच दिल्ली में बैठक चल रही है। ललित मोदी को आईपीएल के कमिश्नर और अध्यक्ष पद से हटाए जाने की अटकलों के मद्देनजर यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। क्रिकेट बोर्ड ने कार्यसमिति की बैठक भी 24 अप्रैल की बजाय दो मई को करने का फैसला किया है। इससे पहले 26 अप्रैल को आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल की बैठक होगी। बीसीसीआई के आला अधिकारी मोदी से खासे नाराज हैं जिन्होंने कोच्चि फ्रेंचाइजी के मालिकाना हक पर ट्विटर पर बयान देकर विवाद छेड़ दिया। इससे क्रिकेट बोर्ड भी आयकर जांच के घेरे में आ गया। मोदी पर भी अपने परिवार और दोस्तों को विभिन्न आईपीएल टीमों में हिस्सा दिलाने का आरोप है। फिलहाल माना जा रहा है कि आईपीएल कमिश्नर के तौर पर ललित मोदी के दिन लदने जा रहे हैं। बीसीसीआई आज उनसे इस्‍तीफा मांग सकती है।

1 comment:

नरेश चन्द्र बोहरा said...

शशि थरूर का भावुक होना स्वाभाविक है. लेकिन यह भी सत्य है शशिजी भारतीय राजनीति आपके लायक नहीं है क्योंकि यहाँ केवल वे ही चलते हैं जो मोटी चमड़ी के होते हैं. झूठे ; मक्कार ; पग पग पर धोखा देनेवाले और भ्रष्ट आचार वाले होते हैं. सबसे बड़ी शर्म की बात रहे की आडवानी जी ने इस्तीफे की मांग कर डाली जो की स्वयं बाबरी मस्जिद केस में आरोपी होने के बावजूद ना केवल अपनी कुर्सी से चिपके रहे बल्कि उप प्रधामंत्री का पद भी हासिल किया. लालू यादव चारा गोताले से अभी तक मुक्त नहीं हुए हैं और कितने ही सालों तक रेल मंत्री रहे हैं. जबकि शशि थरूर को इस्तीफ़ा देन पड़ा है. सरकार में शामिल शरद पवार ( जिनका क्रिकेट से कोई नाता नहीं केवल धन दौलत से नाता है और बी सी सी आई से केवल रुपये कमाने के लिए जुड़े रहे ) आई पी एल के सर्वेसर्वा ललित मोदी अभी भी पद पर बने रखने में मदद कर रहे हैं. जिस तरह हमारे नेताओं ने इस मुद्दे को लोक सभा और राज्य सभा में उछाला उससे तो ऐसे लगा जैसे शशि थरूर ना हुए पाकिस्तान का आतंकी हमला हो गया हो. ये कोई ऐसी राष्ट्रीय समस्या नहीं थी जिस पर संसद की कार्यवाहे रोकनी पड़े और आम जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा ही ना हो. लानत है हमारे नेताओं पर जो जनता को इस तरह भूल जाते हैं . ये सत्य है कि आई पी एल क्रिकेट को बरबाद कर रही है और इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिये लेकिन शशि थरूर का इस्तीफ़ा भारत के लिए ठीक नहीं हैं. यु एन ओ में इतने लम्बे समय तक बेदाग़ रहे व्यक्ति की विदेश निति में अहम् भूमिका हो सकती थी.
शशि जी पता नहीं जिन लोगों ने आपको मत देकर जितवाया हैं उनके दिलों को कितना दुःख पहुंचा होगा.