Saturday, April 24, 2010

मायावती की सीबीआई जांच पर कांग्रेस-भाजपा के चुप होने का मतलब!


sansadji.com

कांग्रेस और भाजपा में इस समय संसदीय पालेबाजी को लेकर लुकाछुपी का खेल चल रहा है। भाजपा ने आईपीएल मामले पर दोहरा रुख अख्तियार करते हुए शशि थरूर को लेकर तो खूब हल्ला मचाया लेकिन जब मामला प्रफुल्ल पटेल का आया तो बगलें झांकने लगी। इसी तरह मायावती के माला प्रकरण पर भी भाजपा सांसद लालजी टंडन का कहना था कि ये कोई खास बात नहीं है। इन राजनीतिक घटनाओं को खंगालने वाले विश्लेषक बताते हैं कि यह सब संसद में अपना-अपना गोल मजबूत रखने का खेल चल रहा है। एक (राजग) सत्ता से बाहर है, जिसे सत्ता की तलब है, दूसरा (संप्रग) सत्ता में बने रहने के लिए साम-दाम-दंड-भेद की नीति पर चल रहा है। इसी तरह सीबीआई जांच प्रकरणों पर कांग्रेस का रुख रहा। जब लालू प्रसाद और मुलायम सिंह के मामले जांच निष्कर्षों तक उजागर होने को हुए तो कांग्रेस ने आंख झपका दी लेकिन मायावती के मामले में ऐसा नहीं। कटौती प्रस्ताव पर विपक्षी एकजुटता के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने उच्चतम न्यायालय में केंद्रीय जांच ब्यूरो के इस बयान पर चुप्पी साधकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ अच्छा संबंध रखने का प्रयास किया कि वह आय से अधिक संपत्ति के मामले को बंद करने की मायावती की मांग पर विचार करेगी। पार्टी ने सीबीआई के इस बयान पर चुप्पी साध ली है लेकिन पार्टी नेताओं ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि दरअसल कांग्रेस का यह मायावती को अपने पाले में लाने की तरकीब है। एक भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस नीत सरकार सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और मायावती के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले नरमी बरतकर उन्हें अपने पाले में रखना चाहती है। वे विपक्षी की रणनीति को विफल करने के लिए कटौती प्रस्ताव के दौरान बहिर्गमन कर सकते हैं। बहरहाल, कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि सीबीआई एक स्वायत्तशासी निकाय है और सरकार उसके रोजमर्रा के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करती है। सरकार संसद में अपनी संख्या को लेकर आश्वस्त है।

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