Thursday, April 22, 2010

राजनीति के गांव में आईपीएल की महामारी, अब पवार और पटेल लपेटे में!



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आईपीएल क्या हुआ, लालू यादव के शब्दों में 'रोग' हो गया। देश के युवाओं को तो बर्बाद कर ही रहा, क्रेंद्र सरकार की भी चादर उतारने पर आमादा है। पहले विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर निशाने पर आए, कुर्सी से गए, अब एक-दूसरे केंद्रीय मंत्री सुर्खियों में नमूदार हैं। नाम है नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल। साथ में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार भी घिरते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आईपीएल से दोनों मंत्रियों के संबंध और संलिप्तता के बारे में जानकारियां मांगी हैं। इससे पहले गुरुवार को आईपीएल विवाद के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रियों शरद पवार और प्रफुल पटेल के इस्तीफे की संभावना से इंकार करते हुए राकांपा ने क्रिकेट लीग में हुए आर्थिक कदाचार में अपने किसी भी नेता या उनके रिश्तेदारों की संलिप्तता की बातों को गुरुवार को खारिज कर दिया। पार्टी प्रवक्ता डी पी त्रिपाठी ने कहा कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल पटेल के सचिव द्वारा आईपीएल की नयी फ्रेंचाइजी की अनुमानित मूल्य के बारे में थरूर को ई-मेल के जरिए दस्तावेज भेजने में कुछ भी गलत नहीं है। इसके बाद ही नयी फ्रेंचाइजी की नीलामी के लिए लगी बोली में कोच्चि टीम को जीत हासिल हुई थी। पवार के दामाद और राकांपा सांसद सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले की मल्टी स्क्रीन मीडिया पूर्व में सोनी इंटरटेनमेंट टेलीविजन में 10 फीसदी हिस्सेदारी के बारे में पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि उनका कंपनी में शेयर नहीं है। गौरतलब है कि आयकर अधिकारियों ने मल्टी स्क्रीन मीडिया के दफ्तर पर भी छापेमारी की है। उन्होंने कहा कि सदानंद सुले सोनी टेलीविजन से उस वक्त से जुड़े हुए हैं जब आईपीएल का जन्म भी नहीं हुआ था। शशि थरूर का अनुकरण करने का सुझाव दिए जाने पर त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी राजनैतिक दल ने इस तरह की मांग नहीं की है। इसका कोई आधार नहीं है। इसका कोई सवाल नहीं उठता। उन्होंने कहा कि राकांपा द्वारा दोहरा मानदंड अपनाए जाने का कोई सवाल नहीं उठता। उन्होंने कहा कि राकांपा के अपने मानदंड हैं। दो दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की परिजन सांसद ने बिना मांगे मीडिया को सफाई दी थी। उसी समय प्रफुल्ल पटेल ने भी कहा था कि आईपीएल में उनका पैसा नहीं लगा है। अब चर्चाएं गर्म हैं कि प्रफुल्ल पटेल की निजी सचिव ने पिछले महीने शशि थरूर को ई−मेल भेजा था। एक न्यूज चैनल की सूचनाओं के मुताबिक पटेल की निजी सचिव चंपा भारद्वाज ने नई आईपीएल टीमों की बोली से जुड़े अनुमान शशि थरूर को भेजे थे। यह ई-मेल नीलामी से दो दिन पहले भेजी गई। पटेल की निजी सचिव के पास यह जानकारी प्रफुल्ल पटेल की बेटी पूर्णा पटेल के जरिए आई, जो कि आईपीएल में हॉस्पिटालिटी मैनेजर हैं। उन्हें यह ई-मेल आईपीएल के सीईओ सुंदर रमन ने भेजी। रमन की सफाई है कि उन्हें नहीं पता कि पूर्णा ने यह जानकारी अपने पिता की सचिव को क्यों भेजी, जबकि पूर्णा कहती हैं कि उन्होंने ऐसा सुंदर रमन के कहने पर ही किया। बुधवार को प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि उनकी सेक्रेटरी ने शशि थरूर को कुछ जानकारियां भेजी थीं, वह भी शशि थरूर के मांगने पर। उन्होंने कहा कि शशि थरूर और मैं अच्छे दोस्त हैं और उन्होंने मुझे पूछा कि क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं। मैंने ललित मोदी को यह बताया कि शशि को कुछ जानकारियां चाहिए। लेकिन मुझे यह नहीं मालूम कि कौन सी जानकारी उन्हें दी गई। अगर मैं बोली लगाने वाला होता, तो क्यों अपने प्रतिद्वंदी को मदद करता। हालांकि पूर्णा पटेल ने कहा है कि उन्होंने अपने पिता की सचिव को मेल फॉरवर्ड किया था, लेकिन यह भी कहा कि उन्होंने सीईओ सुंदर रमन के निर्देशों का पालन किया। उधर, राकांपा प्रमुख शरद पवार की पुत्री और सांसद सुप्रिया सुले ने आज कहा कि उनके पति और उनके परिवार को आईपीएल विवाद के संबंध में कुछ लोग बदनाम कर रहे हैं। वह इस संबंध में कानूनी कार्रवाई करेंगे। सुले ने संसद के बाहर कहा कि मेरे पति सदानंद सुले उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए अपने वकीलों से बातचीत कर रहे हैं जो हमें बदनाम करने का प्रयास कर रहे है। वह उन मीडिया रपटों का उल्लेख कर रही थीं, जिसमें कहा गया है कि सदानंद सुले की आईपीएल की प्रसारण एजेंसी मल्टी स्क्रीन मीडिया (पूर्व में सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन) में अपने पिता बी.आर. सुले से हासिल पावर आफ अटार्नी के जरिए हिस्सेदारी है। यह पूछे जाने पर कि क्या इस अभियान के पीछे कांग्रेस का हाथ है तो उन्होंने कहा- नहीं। कांग्रेस हमारी सहयोगी पार्टी है और हम क्रिकेट के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र की सेवा करने के लिए एकसाथ आए हैं। प्रफुल पटेल के निजी सचिव द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को आईपीएल की नयी फ्रैंचाइजी की अनुमानित कीमत के बारे में एक दस्तावेज के साथ ई-मेल भेजने संबंधी मीडिया रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह गोपनीय दस्तावेज था और इसे दूसरों को नहीं सौंपा जाना चाहिए था।

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