Sunday, May 9, 2010

बिहार में गृहयुद्ध छेड़ना चाहते हैं नीतीश:लल्लन


sansadji.com

जनता दल (यूनाइटेड) के विक्षुब्ध सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने आज दावा किया कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार अगर दोबारा सत्ता में आई तो बटाईदारी बिल को लागू कर वह इस प्रदेश में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न कर देगी। सरकार के कथित प्रस्तावित बटाईदारी बिल के विरोध में आज पटना के गांधी मैदान में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए जद (यू) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लल्लन ने नीतीश पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की राह पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा कि लालू से किसी को व्यक्तिगत विरोध नहीं था, बल्कि उनकी कार्यशैली सही नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया कि चारा घोटाला मामले में आरोपी लालू सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए रिक्शा की सवारी किया करते थे, उसी प्रकार अब नीतीश बग्घी और रिक्शा पर सवार होकर यात्रा कर रहे हैं। लल्लन ने सांसद शिवानंद तिवारी, श्याम रजक और रमई राम का जिक्र करते हुए कहा कि नीतीश के दरबार में आज वही लोग हैं, जो कि कभी लालू के दरबार में शामिल थे। प्रदेश में पिछले 15 वर्षों के राजद शासन काल के दौरान समाज में जिस प्रकार से विद्वेष फैलाने का काम किया गया, उसी प्रकार नीतीश कुमार भी अपने शासन काल के दौरान अगड़ा-पिछड़ा, दलित-महादलित और मुसलमानों में पसमांदा समाज की बातकर समाज को खंडित करने में लगे हैं।

ब्रिटेन में सरकार के लिए सौदेबाज़ी
ब्रिटेन में गठबंधन सरकार बनाने के लिए कंजरवेटिव और लिबरल डेमोक्रेट्स के बीच तीसरे दिन भी कड़ी सौदेबाज़ी जारी रही। ब्रिटेन में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह पहली गठबंधन सरकार होगी, लेकिन यह बातचीत किसी भी समय गड़बड़ा सकती है क्योंकि एक टॉप सीक्रेट खत मिला है जिसमें सरकार बनाने की स्थिति में होने पर टोरी के यूरो विरोधी रुख को रेखांकित किया गया है। यह पत्र ऐसे समय लीक हुआ है, जब टोरी और लिबरल डेमोक्रेट गठबंधन सरकार बनाने के लिए रात-दिन बातचीत में लगे हैं। चुनाव में कंजरवेटिव सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। उसे 650 सदस्यीय हाउस ऑफ कॉमन्स में 306 सीटें मिली हैं। टोरी और लिबरल डेमोक्रेट नेता डेविड केमरन एवं निक क्लेग ने बीती रात लगभग 70 मिनट तक आमने सामने बैठकर बात की। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन में छह मई को हुए चुनावों में डेविड केमरन के नेतृत्व में कंजरवेटिव पार्टी को 19 संसदीय क्षेत्रों के 16,000 मतदाताओं की वजह से पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया। कोलिन रालिंग्स और माइकल थ्रेशर ने अपनी पड़ताल में दावा किया है कि कंजरवेटिव पार्टी पूर्ण बहुमत के करीब पहुंच गई थी। प्लेमाउथ यूनिवर्सिटी स्थित चुनाव केंद्र के निदेशकों रालिंग्स और थ्रेसर के हवाले से ‘संडे टाइम्स’ ने कहा है, ‘‘कैमरन बहुत करीब पहुंच गए थे और अब बहुत दूर हैं। 19 संसदीय क्षेत्रों के महज 16000 वोट कंजरवेटिव को पूर्ण बहुमत दिला सकते थे।’’ रालिंग्स और थ्रेसर का विश्लेषण है कि निकट भविष्य में होने वाले दूसरे चुनाव में तुलनात्मक रूप से थोड़ी सी बढ़त टोरी को पूर्ण बहुमत दिला सकती है।

कैग ने की दूरसंचार विभाग की खिंचाई
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार को बढ़ावा देने के लिये एकत्रित 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का इस्तेमाल नहीं करने और इस्तेमाल नहीं हुई राशि के बारे में गलत जानकारी देने पर दूरसंचार विभाग की खिंचाई की है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने केंद्र सरकार के कामकाज के पर दी गयी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार सेवा के विकास के लिये वित्त वर्ष 2002-03 से 2008-09 के दौरान विशेष दायित्व शुल्क के रूप में 26,163. 96 करोड़ रुपये वसूले गये। लेकिन इस अवधि के दौरान इसमें से केवल 7,971. 44 करोड़ रुपये ही वितरित किये गये। रिपोर्ट के अनुसार सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष (यूएसओ) 31 मार्च 2009 तक 18,192. 52 करोड़ रुपये होने चाहिए न कि ‘शून्य’ जैसा कि दूरसंचार विभाग के खातों में दिखाया गया है। कैग ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि कोष का इस्तेमाल बजट घाटा पाटने के लिये इस्तेमाल किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार के विकास के लिये यूएसओ कोष का गठन सरकार ने 2002 में किया। इसके तहत दूरसंचार कंपनियों से उनकी समायोजित सकल आय का 5 फीसद बतौर शुल्क लिया जाता है। कोष का प्रबंधन दूरसंचार विभाग करता है। कैग ने एकत्र किये गये कोष का इस्तेमाल उसी साल करने के लिये स्कीम तैयार करने की सिफारिश की है ताकि यूएसओ लक्ष्य को पूरा किया जा सके। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने इस बात पर अफसोस जताया कि खर्च नहीं की गयी राशि का इस्तेमाल बजटीय घाटा पाटने में किया गया है। उल्लेखनीय है कि कैग इससे पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर चुका है, जिस पर संसद में भी हो-हल्ला होता रहा है।

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